भाजपा संग मेलजोल पर अखिलेश ने लगाई मुहर तो भड़के शिवपाल, कहा- मुझे पार्टी से निकाल दें

लखनऊ। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा से मिली करारी हार के बाद से ही इस बात ने खबरों का बाजार गर्म कर दिया कि जल्द ही अपर्णा की तरह ही चाचा शिवपाल भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हर दूसरे दिन इस बात को लेकर कोई न कोई विषय चर्चा में बना रहता है। इसी कड़ी में बीते दिन पहली बार अखिलेश यादव ने भी इस बात को खुलेआम स्वीकार किया कि चाचा शिवपाल इन दिनों विपक्षी दलों के संपर्क में हैं। विधानसभा चुनावों से पहले चाचा और भतीजे के बीच आई खटास सर्व विदित है। ऐसे में अखिलेश के इस बयान ने आग में घी डालने का काम कर दिया है।
अखिलेश यादव के इस बयान पर शिवपाल यादव खासे नाराज है और उन्होंने तीखी प्रतिक्रया देते हुए कहा कि यदि अखिलेश को ऐसा लगता है कि मैं विपक्षी दलों के संपर्क में हूं तो वे (अखिलेश) मुझे पार्टी से तुरंत निकाल दें।
खबरों के मुताबिक़ शिवपाल यादव ने कहा, अखिलेश यादव मुझे पार्टी से निकालने में देर न करें। उन्होंने जिस तरह का बयान दिया है, वे मुझे पार्टी से निकाल सकते हैं। मैं कोई सहयोगी दल नहीं हूं। मैं सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और सपा के 111 विधायकों में से एक हूं। ऐसे में वे मुझे पार्टी से निकाल सकते हैं। दरअसल, यूपी विधानसभा चुनाव में शिवपाल यादव सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। हालांकि, वे अलग पार्टी प्रसपा के अध्यक्ष हैं।
शिवपाल ने बीजेपी से संबंधों के अखिलेश के आरोपों पर कहा, जब वक्त आएगा, मैं फैसला लूंगा और सभी को बताऊंगा। अभी पार्टी में बातचीत चल रही है। समीक्षा हो रही है। कुछ दिन बाद फिर समीक्षा होगी, तब मैं बताऊंगा कि मेरा क्या फैसला है।
इससे पहले खबरों के बाजार में लगातार इस बात की फुसफुसाहट सुनने में आ रही है कि जल्द ही शिवपाल भाजपा का दामन थाम सकते हैं। हालांकि, चुनावों से ठीक पहले जब इस तरह की बातें चर्चा आईं थी तो शिवपाल ने बिना देरी किए साफ कर दिया था कि वे अपने परिवार के साथ खड़े हैं। मगर, चुनावी परिणामों के सामने आने के बाद उन्होंने एक बार भी इन बातों को खारिज नहीं किया।
हां, बल्कि इसके उलट कुछ ऐसे इशारे दे दिए हैं, जो सीधे-सीधे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल के भाजपा की तरह झुकाव के संकेत दे रहे हैं।
खबरों के मुताबिक़ मीडिया से बात करते हुए हो या फिर सोशल मीडिया के जरिए, शिवपाल यादव ने सियासी बदलाव के संदेश दिए थे।
वहीं शिवपाल सिंह यादव सपा की इस बात से पूरी तरह नाराज हो गए और दिल्ली चले गए। दिल्ली में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात करने के बाद वह अगले दिन लखनऊ पहुंचे और फिर समाजवादी पार्टी के विधायकों के साथ शपथ लेने के बजाए अगले दिन विधानसभा में अकेले शपथ ली। इसके बाद शिवपाल ने उसी दिन शाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से करीब 20 मिनट मुलाकात की थी। इसके बाद चर्चा शुरू हुई कि क्या शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी छोड़ देंगे?
यही वजह है कि इन दिनों इस बात की चर्चा तेज है कि शिवपाल सिंह यादव बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में कुछ संकेत हैं, जिनके बारे में हम बताने जा रहे हैं, जो इस बात का इशारा देते हैं कि शिवपाल यादव ने बीते कुछ दिनों में कैसे बदलाव किया।
दरअसल, सबसे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू (Koo) और ट्वीटर पर फॉलो करने लगे।
दूसरा बीते दिनों उन्होंने रामायण की चौपाई के साथ भगवान राम को परिवार, संस्कार और राष्ट्र निर्माण की सर्वोत्तम पाठशाला बताया था। तीसरा इटावा में एमएलसी चुनावों में वोट डालने के बाद शिवपाल ने कहा कि यह तो गुप्त मतदान है, इसे तो बताया नहीं जा सकता कि किसको वोट किया है।
चौथा शिवपाल ने अपने राजनीतिक जुड़ाव में बदलाव का स्पष्ट संकेत देते हुए अपनी ट्विटर प्रोफाइल की तस्वीर बदल दी है। शिवपाल ने ट्विटर हैंडल पर नई तस्वीर में ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर लगाई और कैप्शन में लिखा, ‘हैं तैयार हम’। बता दें कि यूपी चुनाव के बाद सपा की बैठक में बुलावा नहीं मिलने के बाद शिवपाल अब खुलकर नाराजगी जाहिर करते हुए नजर आ रहे है।