यूपी चुनाव : टिकट की लाइन में जोर पकड़ती वंशवाद की कवायद, BJP शीर्ष नेतृत्व नहीं दे रहा रुख

लखनऊ। विधानसभा चुनावों से ठीक पहले विपरीत सियासी दलों में घमासान के साथ-साथ आंतरिक खींचतान का मामला भी काफी जोर पकड़ रहा है। यह खीचतान है, खुद की उम्मीदवारी घोषित करने की। अपने राजनैतिक इतिहास को विरासत के तौर पर अपने वंश में आगे बढ़ाने की। बता दें, यहां हम सपा, बसपा या फिर कांग्रेस की बात नहीं कर रहे, बल्कि यहाँ हम जिक्र कर रहे हैं सत्तारूढ़ भाजपा के भीतर होने वाले टिकट बंटवारे को लेकर मचे घमासान के बारे में। एक ऐसी होड़ जहां, सांसद, मंत्री या फिर हो विधायक कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता। उन्हें इस बात से भी कोई मतलब नहीं कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पार्टी को इन चुनावों में अव्वल बनाने के लिए किसे किस जगह से पार्टी का चेहरा बनाकर मैदान में उतारना चाहता है। बस इन्हें मतलब है तो अपनी विरासत को अपनी अगली पीढ़ी तक पहुंचाने से।
जी हां, यह सभी भाजपा है, जिसने हाल ही में सबका साथ, सबका विकास के नारे के साथ यह घोषणा की थी कि इस बार भी वह इन चुनावों में 300 से अधिक वोट हासिल कर पूर्ण बहुमत से सरकार में वापसी करेंगे।
वहीं इन चुनावों में अपनी दावेदारी को प्रबल करने के उद्देश्य से स्वयं प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी इस चुनावी रण में कूद चुके हैं, जिन्हें पार्टी ने गोरखपुर से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है।
सांसद भी मैदान में देखना चाहते खुद के बेटे
खबरों के मुताबिक़ बीजेपी के कई सांसद हैं, जो अपनी सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बेटे-बेटियों को चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं। प्रयागराज से सांसद रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ कैंट सीट से अपने बेटे मयंक जोशी को चुनाव लड़ाना चाहती हैं। रीता बहुगुणा जोशी इस सीट से दो बार विधायक रह चुकी हैं और अब वो इस सीट से अपने बेटे को विधायक बनाना चाहती हैं।
सलेमपुर लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद रवींद्र कुशवाहा अपने छोटे भाई जयनाथ कुशवाहा को भाटपाररानी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाने के लिए दावेदारी कर रहे हैं। 2017 में बीजेपी के टिकट पर जयनाथ कुशवाहा चुनाव लड़े थे, लेकिन सपा के आशुतोष उपाध्याय ने हरा दिया था। बीजेपी अगर कुशवाहा को टिकट देती है तो एक फिर से पिछले चुनाव की तरह यहां मुकाबला होगा।
कानपुर नगर से बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी अपने बेटे अनूप पचौरी के लिए कानपुर की गोविंदनगर सीट से टिकट की मांग कर रहे हैं। ब्राह्मण बहुल इस सीट पर सत्यदेव पचौरी दो बार विधायक रहे हैं, लेकिन 2019 में उनके सांसद बनने के बाद सुरेंद्र मैथानी बीजेपी के टिकट पर विधायक बने हैं। ऐसे में अब वो अपने बेटे को गोविंदनगर सीट से चुनाव लड़ाकर विधायक बनाना चाहते हैं।
केंद्रीय मंत्री भी बेटों के लिए कर रहे प्रयास
इतना ही नहीं इस होड़ में शामिल केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से सांसद हैं और उनके बड़े बेटे पंकज सिंह नोएडा से विधायक हैं और दूसरी बार पार्टी ने फिर से उनको टिकट दिया है। इसके अलावा राजनाथ सिंह के छोटे बेटे नीरज सिंह भी लखनऊ कैंट और उत्तरी विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
वहीं, लखनऊ की मोहनलालगंज सीट से सांसद व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर की पत्नी जय देवी मलिहाबाद से बीजेपी की विधायक हैं। इस बार कौशल किशोर के बेटे विकास किशोर महिलाबाद और दूसरे बेटे प्रभात किशोर सीतापुर की सिधौली सीट से चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रहे हैं। ऐसे ही आगरा से सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल की पत्नी टूंडला से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। एसपी बघेल खुद टूंडला से विधायक रहे हैं।
टिकट के दावेदार राज्यपालों के बेटे भी
बीजेपी के मंत्री, सांसद ही नहीं बल्कि दो राज्यों के राज्यपाल के बेटे भी चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में हैं। बिहार के राज्यपाल फागू चौहान के बेटे रामविलास चौहान ने अपने पिता की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी मैदान में उतरने का मन बनाया है। वे बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल होने वाले दारा सिंह चौहान की मधुबन विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं। हालांकि, इसी सीट पर बीजेपी नेता रामजी सिंह के पुत्र अरिजीत सिंह ने भी टिकट की दावेदारी कर रखी है।
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा के बेटे अमित मिश्रा देवरिया सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। देवरिया सीट ब्राह्मण बहुल मानी जाती है। कलराज मिश्रा देवरिया से सांसद रहे हैं और अब उनके बेटे अपने पिता की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी पिच पर उतरना चाहते हैं। हालांकि, देवरिया सीट पर बीजेपी के कई नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी कर रखी है, जिसके चलते पार्टी के सामने चुनौती बढ़ गई है।
योगी के मंत्री भी लाइन में
योगी सरकार के कई मंत्री भी अपने बेटों को चुनाव लड़ने की तैयारी में है। यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की पथरदेवा सीट से उनके बेटे सुब्रत शाही चुनाव लड़ने की तैयारी में है, अभी मौजूदा समय में वो ब्लॉक प्रमुख हैं। सूर्य प्रताप शाही के बेटे को पथरदेवा से टिकट मिलता है तो वो देवरिया सदर से चुनाव लड़ने की जुगत में है। ऐसे ही रुद्रपुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक और मंत्री जयप्रकाश निषाद भी अपने बेटे को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन निषाद पार्टी भी इस सीट को मांग रही है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के बेटे दिलीप दीक्षित उन्नाव की पुरवा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। इस सीट पर बसपा के बागी अनिल सिंह विधायक हैं और वो बीजेपी के साथ आ गए हैं। ऐसे में पार्टी के सामने दिक्कत है कि किसे टिकट दें। योगी सरकार में वित्त मंत्री रहे राजेश अग्रवाल ने 75 वर्ष की आयु के चलते मंत्री पद छोड़ दिया था। ऐसे में अब वो बरेली कैंट सीट से अपने बेटे आशीष अग्रवाल को चुनाव लड़ाना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने बाकायदा दावेदारी भी कर रखी है।
योगी सरकार में सहकारिता मंत्री और ओबीसी चेहरा माने जाने वाले मुकुट बिहारी वर्मा की उम्र 76 वर्ष हो गई हैं, लेकिन चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं और साथ ही वे अपने बेटे गौरव के लिए कैसरगंज सीट से टिकट चाहते हैं। उनकी कोशिश है कि अगर पार्टी उन्हें टिकट नहीं देती है तो उनके बेटे को चुनाव लड़ाए। कैसरगंज सीट कुर्मी बहुल मानी जाती है, पर यहां यादव और मुस्लिम वोट भी काफी निर्णायक भूमिका में है। लखनऊ मध्य सीट से विधायक और योगी सरकार में मंत्री बृजेश पाठक भी अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग रहे हैं।