UP: दस्तावेज किसी के काम किसी और का… 7 साल से सरकारी वेतन पर चल रही थी मौज, FIR

लखनऊ। बीते दिन यानी मंगलवार को यूपी शिक्षा विभाग में एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। इस फर्जीवाड़े के सामने आते ही सभी हक्का-बक्का रह गए। सभी हैरत में थे कि इतनी बड़ी चूक कैसे नजरअंदाज कर दी गई और 7 सालों तक इस बात की किसी को कानों कान खबर तक न हुई। हुआ दरअसल यूं कि साल 2014 में प्रियंका यादव नाम की एक लड़की ने सहायक अध्यपक के पद पर मिर्जापुर में आवेदन भरा और उसे नौकरी भी हासिल हो गई। मगर, खेल ये था कि प्रियंका यादव ने आवेदन के लिए अपने नहीं बल्कि कन्नौज की एक अन्य लड़की प्रियंका प्रजापति के दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। जिसका खुलासा अब हुआ है और इस मामले में प्रियंका यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

खबरों के मुताबिक प्रियंका प्रजापति के दस्तावेज दिखाकर फर्जीवाड़ा कर नौकरी हासिल करने वाले प्रियंका यादव शिक्षा विभाग नियुक्ति की तिथि से लेकर अगस्त 2021 तक 38 लाख 99 हजार से अधिक की राशि वेतन भुगतान में उठा चुकी है।

बता दें, शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा कर नौकरी हासिल करने का यह खेल कन्नौज जलपद से जुड़ा है। जहां की रहने वाली प्रियंका प्रजापति के फर्जी अभिलेख और डिग्री पर प्रियंका यादव नाम की महिला सहायक अध्यपक की नौकरी मिर्ज़ापुर में कर रही थी। खास बात तो यह है कि प्रियंका प्रजापति इस समय ब्रिटेन लंदन में अपने पति के साथ रह रही है। मगर लंदन से हजारों किलोमीटर दूर उनके अभिलेख और उनके नाम पर एक दूसरी प्रियंका शिक्षा विभाग में नौकरी कर रही है।

शिकायत मिलने पर शिक्षा विभाग ने जब सयुक्त शिक्षा निदेशक विंध्याचल मंडल कमाता राम पाल से जाँच करवाया तो सच्चाई सामने आ गयी। जिस पर जिला विद्यालय निरीक्षक की तहरीर पर पड़री थाने में मुकदमा दर्ज कर जाँच पड़ताल की जा रही है।

जेडी शिक्षा विभाग कमाता राम पाल का कहना है कि एल टी भर्ती 2014 में सहायक अध्यपक उर्दू के लिए भर्ती निकली थी। जिसमे कन्नौज की रहने वाली प्रियंका ने आवेदन किया।

28.8.2015 में उनकी नियुक्ति सहायक अध्यपक के पद पर राजकीय बालिका हाईस्कूल भरपुरा, पहाड़ी मिर्ज़ापुर में हो गयी। मगर प्रियंका ने इस में जो अभिलेख लगाए थे। वह खुद के बजाय कन्नौज की ही रहने वाली दूसरी लड़की प्रियंका प्रजापति के लगाए गए थे।

मगर जाँच में प्रियंका प्रजापति के पिता मनोज प्रजापति में अधिकारियों को प्रमाण सौंपते हुए कहा कि जो लड़की प्रियंका के नाम पर नौकरी कर रही मेरी बेटी नही है। मेरी बेटी इस समय लंदन में रह रही है।

अधिकारियों ने जाँच के बाद मामले को सही पाया। उन्हें मालूम चला कि मिर्ज़ापुर में नौकरी पर रही प्रियंका प्रजापति नहीं, बल्कि प्रियंका यादव है, जिसके पिता अजमेर सिंह यादव है। इससे यह स्पष्ट हो गया कि प्रियंका ने जानबूझ कर नौकरी पाने के लिए दस्तावेजों में फर्जीवाडा कर इस नौकरी को हासिल किया था।

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