नवरात्रि का दूसरा दिन : जानें मां ब्रह्मचारिणी की कथा के साथ शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

लखनऊ। 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है। प्रथम दिन माता दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप शैलपुत्री माता की पूजा अर्चना कर लोगों ने नवरात्रि के अनुष्ठान की शुरुआत कर दी है। बता दें, लोग नौ दिन की पूजा की शुरुआत कलश स्थापना कर करते हैं। खास यह है कि इस बार की नवरात्रि पूरे नौ दिन की है। वहीं इस बार माता का पृथ्वी पर आगमन घोड़े पर हुआ है। ऐसे में इस बार की नवरात्रि काफी मंगलकारी और शुभ फल देने वाली मानी जा रही है।
वहीं आज 3 अप्रैल को नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्य में सदैव विजय प्राप्त होता है। मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं। माता की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है।
तो आइए जानते हैं, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और कथा के बारे में जान लेते हैं…
मां ब्रह्मचारिणी को कैसे करें प्रसंन्न :
देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है और इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें। चूंकि मां को चीनी और मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंलजन अति प्रिय होते हैं। इसलिए आप उन्हेंऔ दूध से बने व्यं जनों का भोग लगा सकते हैं। इस भोग से देवी ब्रह्मचारिणी प्रसन्न हो जाएंगी। इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है।
मां ब्रह्मचारिणी की कथा :
मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था। नारदजी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया, ताकि वे भगवान शिव को पति स्वरूप में प्राप्त कर सकें। कठोर तप के कारण उनका ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी नाम पड़ा। भगवान शिव की आराधना के दौरान उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए तथा 100 वर्ष तक शाक खाकर जीवित रहीं। कठोर तप से उनका शरीर क्षीण हो गया। उनक तप देखकर सभी देवता, ऋषि-मुनि अत्यंत प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि आपके जैसा तक कोई नहीं कर सकता है। आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगा। भगवान शिव आपको पति स्वरूप में प्राप्त होंगे।
शुभ मुहूर्त :
ब्रह्म मुहूर्त- 04:37 AM से 05:23 AM
अभिजित मुहूर्त- 12:00 PM से 12:50 PM
विजय मुहूर्त- 02:30 PM से 03:20 PM
गोधूलि मुहूर्त- 06:27 PM से 06:51 PM
सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:09 AM से 12:37 AM
निशिता मुहूर्त- 12:01 AM, अप्रैल 04 से 12:47 AM, अप्रैल 04
अशुभ मुहूर्त :
राहुकाल- 05:06 PM से 06:40 PM
यमगण्ड- 12:25 PM से 01:58 PM
आडल योग- 06:09 PM से 12:37 PM
विडाल योग- 12:37 PM से 06:08 AM, अप्रैल 04
गुलिक काल- 03:32 PM से 05:06 PM
दुर्मुहूर्त- 05:00 PM से 05:50 PM
पूजा विधि :
- इस दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
- अब मां दुर्गा को अर्घ्य दें।
- मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
- धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।
- मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।