RSS प्रमुख ने कश्मीरी हिन्दुओं में जगाया हौसला, कहा- अब ऐसे बसना कि कोई हटा न सके

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को एक वीडियो कांफ्रेंस के जरिए कश्मीरी पंडितों व हिन्दुओं से संवाद किया। इस दौरान उनका मुख्य जोर ये था कि वे देश में रह रहे प्रत्येक कश्मीरी पंडित को ये एहसास दिला पाएं कि एक बार फिर उनकी कश्मीर में वापसी होगी और उनसे छीनी गई जमीनें भी वापसी मिलेगीं। उन्होंने कहा कि मगर उसके लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा। उन्होंने कहा कि सबकुछ धीरे-धीरे होगा, मगर हमें ये फैसला करना है कि अब उन्हें कश्मीर में ऐसे बसना होगा कि आगे से कोई उन्हें वहां से विस्थापित न कर सके।

खबरों के मुताबिक़ एक से तीन अप्रैल तक जम्मू में संजीवनी शारदा केंद्र की तरफ से तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें तीसरे दिन सरसंघचालक ने कश्मीर हिंदू समुदाय को संबोधित किया।

कार्यक्रम के दौरान कश्मीरी हिंदू समुदाय को नवरेह के शुभ त्योहार पर अपनी मातृभूमि में लौटने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस दौरान मोहन भागवत ने कहा कि अब संकल्प पूर्ति का समय नजदीक है। अबकी बार अपनी मातृभूमि में ऐसे बसना है कि फिर कोई उजाड़ न सके। सभी के साथ मिलजुल कर रहना है।

इसी के साथ मोहन भागवत ने कहा कि संकट आते हैं। कई बार भयंकर संकट आते हैं। कभी-कभी लंबे समय तक रहते हैं। ऐसा न हो, यह हम सबकी कामना है। यह बात ऐसी नहीं है जो वापिस नहीं हो सकती। एक न एक दिन हम इसको वापस कर देंगे। इस हिम्मत को छोड़ना नहीं है। इस हिम्मत को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाना चाहिए। अपने लोगों को जगाना चाहिए। कट्टरपन नहीं होना चाहिए। सभी से मिलजुल कर रहना चाहिए।

सरसंघचालक ने राजा ललितादित्य के इतिहास पर विस्तार से चर्चा की। वहीं, उन्होंने फिल्म द कश्मीर फाइल्स का जिक्र करते हुए कहा कि धीरे-धीरे सच देश के सामने आ रहा है। इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। लेकिन, आम लोग कश्मीरी हिंदुओं के दर्द को समझ रहे हैं और उनके बीच में कश्मीरी हिंदुओं के लिए सहानुभूति है। उन्होंने कहा कि अब कश्मीर में ऐसे बसेंगे कि फिर कोई विस्थापित न कर सके। धैर्य के साथ अपना प्रयास जारी रखना है। संपूर्ण भारत का अभिन्न अंग बन कर कश्मीर में बसना और रहना है।

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