25 दिसंबर से साध्वी ऋतंभरा की दिव्य वाणी में ‘राम कथा’… भक्त लालाइत, तैयारियां जोरों पर

लखनऊ। साध्वी ऋतंभरा के नाम से भला कौन परिचित न होगा। यह वो नाम है, जो साल 1992 के बाबरी मस्जिद आन्दोलन के बाद हिन्दू धर्म को मानने वाले प्रत्येक व्यक्ति के दिल में घर कर गया। इन्होंने न केवल बाबरी मस्जिद के खिलाफ आवाज उठाई, बल्कि पूरे देश में राम मंदिर निर्माण की अलख भी जगाई। वही साध्वी ऋतंभरा 25 दिसंबर से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मौजूद रहेंगी।

दरअसल, सीतापुर रोड के सेवा अस्पताल परिसर स्थित रेवथी रिसार्ट लॉन में 25 दिसंबर से सात दिवसीय ‘एकल श्रीराम कथा’ का आयोजन हो रहा है, जिसे स्वयं साध्वी ऋतंभरा अपनी दिव्य वाणी से सुनाने वाली हैं।
यही वजह है कि भारत लोक शिक्षा परिषद के द्वारा आयोजित इस राम कथा की तैयारियां इन दिनों काफी जोरो पर हैं। कथा स्थल पर टेंट लगाने के साथ ही आने वाले भक्तों के लिए बैठने व रुकने की व्यवस्था भी की जाने लगी हैं। वहीं आए हुए श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसाद का भी प्रबंध किया गया है।

अब इस एकल राम कथा का आयोजन कितना भव्य और कितना विशाल होने वाला इस बात का अंदाजा इस राम कथा की तैयारियों को देख कर आसानी से लगाया जा सकता है।
बताया जा रहा है कि इस राम कथा के निमंत्रण पत्र हल्दी-अक्षत के साथ भारी संख्या में घर-घर भेजे जा रहे हैं। वहीं पूरे शहर में सोशल मीडिया व जगह-जगह होर्डिंग और पोस्टर लगाकर भी इस निमंत्रण को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में मुमकिन है कि कथा के प्रारम्भ से ही कथा स्थल पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलेगी।

वैसे तो साध्वी ऋतंभरा को किसी परिचय की जरूरत नहीं है। फिर भी बहुत से ऐसे लोग होंगे, जो साध्वी ऋतंभरा जी के बारे में और अधिक जानने की लालसा रखते होंगे। तो आइए संक्षेप में हम साध्वी ऋतंभरा के जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में जान लेते हैं।
साध्वी ऋतंभरा के जीवन से जुड़े अहम बातें कुछ इस प्रकार हैं…
- इन्हे लोग दीदी और माँ कह के भी सम्बोधित करते हैं।
- महिला सशक्तिकरण के लिए इन्होने कई सेण्टर खोले हैं और इनका पहला सेण्टर ज्वाला नगर, दिल्ली, 2003 में था।
- इनके आश्रम में महिलाओ की सुरक्षा के लिए उन्हें हॉर्स राइडिंग, बंदूक चलाना, हवाई फायरिंग, कराटे आदि के प्रशिक्षण की सेवा का प्रबंध किया गया है।
- ये अनाथालय, विधवाओं के लिए आश्रम, आदि भी चलाती हैं इनके आश्रम दिल्ली, हिमाचल प्रदेश आदि स्थानों में होते हैं।
- परम शक्ति पीठ और वत्सल्याग्राम में, विधवा महिलाओं, अनाथ बच्चे और बूढ़े व्यक्ति परिवार की तरह साथ में रहते हैं।
- इन्होने सरकार से अनुग्रह किया की इन्हे उन बच्चों की सेवा करने का मौका दिया जाये जिनके माता पिता उत्तराखंड के बाढ़ में मारे गए।
- इनका मानना है की सभी बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं इसलिए उन्हें प्यार, बल, शिक्षा और भोजन मिलना है।
- इनके माता पिता भी काफी धार्मिक थे और वो सामाजिक कार्यों को करने की कोशिश करते थे।
- इन्होने कई साल तक योग और मैडिटेशन में भी अपना समय दिया था।
- सोलह वर्ष की आयु में इन्होने निर्वाण प्राप्त कर लिया था।
- इन्होने अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ दी थी।
- इन्होने काफी समय अपना हरिद्वार के आश्रम में भी बिताया।
- इन्होने सामजिक जीवन में भी अपना कदम रखा और राष्ट्रीय सेविका समिति का हिस्सा बनी और कुछ समय के लिए वहां शिक्षा भी ली। साथ ही विश्व हिन्दू परिषद् की भी सदस्य बनी।
- इन्होने बाबरी मस्जिद के खिलाफ हो रहे आंदोलन में भी भाग लिया था 1992 में।
- उस आंदोलन के दौरान इनके साथ उमा भारती, विजय राजे सिंधिया भी थे।
- ये विश्व हिन्दू परिषद् के महिला दल की चेयरपर्सन भी हैं।
- 1993 में ये वृन्दावन और मथुरा के बीच में आश्रम बनवाना चाहती ही लेकिन इनकी ये ख्वाइश राजनीती के कुछ लोगों के कारण पूरी नहीं हो पाई थी।
- 2002 में पूर्व मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता ने इनके आश्रम के लिए 17 हेक्टर्स जमीन 1 रुपए सालाना के किराए पे वृन्दावन के पास की जमीन दे दी।
- वसुधैव कुटुम्बकम की फिलॉसफी के ऊपर ही ये अपने सारे नियम चलाती हैं, जिसमे पूरा विश्व इनका घर है और पुरे विश्व के लोग इनका परिवार है।
- ये विश्व में किसी भी बच्चे को अनाथ नहीं देखना चाहती हैं जिसके कारण ये अनाथ बच्चों को गोद लेके उन्हें प्यार देने की कोशिश करती हैं।
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