अखिलेश के बयान पर मायावती का पलटवार, कहा- जो खुद सीएम नहीं बन सके, वो मुझे पीएम कैसे बनाते?

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक बयान पर बसपा सुप्रिमो मायावती ने तगड़ा पलटवार किया है। उन्होंने बयान का जवाब देते हुए कहा कि जो कई-कई पार्टियों से गठबंधन करके भी अपना सीएम बनने का सपना पूरा नहीं कर सके हैं, वे दूसरों को पीएम बनाने का सपना कैसे पूरा कर सकते हैं। बता दें कि मायावती अखिलेश यादव के उस बयान पर भड़क गईं, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे भी चाहते थे कि मायावती पीएम बनें।
बसपा सुप्रिमो ने कहा, सपा मुखिया यूपी में मुस्लिम और यादव समाज का पूरा वोट लेकर और कई-कई पार्टियों से गठबंधन करके भी जब अपना सीएम बनने का सपना पूरा नहीं कर सके हैं, तो फिर वो दूसरों का पीएम बनने का सपना कैसे पूरा कर सकते हैं?
2. इसके साथ ही, जो पिछले हुये लोकसभा आमचुनाव में, बी.एस.पी. से गठबन्धन करके भी, यहाँ खुद 5 सीटें ही जीत सके हैं, तो फिर वो बी.एस.पी. की मुखिया को कैसे पीएम बना पायेंगे? अतः इनको ऐसे बचकाने बयान देना बन्द करना चाहिये। 2/3
— Mayawati (@Mayawati) April 29, 2022
उन्होंने कहा, ”इसके साथ ही, जो लोग लोकसभा आम चुनाव में बीएसपी से गठबंधन करते खुद 5 सीटें ही जीत सके हैं, तो फिर वो बीएसपी की मुखिया को कैसे पीएम बना पायेंगे? अतः इनको ऐसे बचकाने बयान देना बंद करना चाहिए।” उन्होंने कहा, मैं आगे सीएम और पीएम बनूं या ना बनूं, लेकिन मैं अपने कमजोर और उपेक्षित वर्गों के हितों में देश का राष्ट्रपति कतई भी नहीं बन सकती हूं। अब यूपी में सपा का सीएम बनने का सपना कभी भी पूरा नहीं हो सकता है।
कब हुई विवाद की शुरुआत
गौरतलब है कि मायावती और अखिलेश के बीच इस पूरे विवाद की शुरुआत दो दिन पहले हुई। अखिलेश यादव ने एक कार्यक्रम में कहा था कि बीजेपी ने बसपा का वोट तो हासिल कर लिया, क्या अब बीजेपी मायावती को राष्ट्रपति बनाएगी। अखिलेश के इस बयान पर मायावती ने पलटवार करते हुए कहा, वे यूपी का सीएम या देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना देख सकती हैं, लेकिन राष्ट्रपति बनने का नहीं। मायावती ने कहा था, सपा यूपी में बीजेपी की जीत के लिए जिम्मेदार है। सपा मुझे राष्ट्रपति बनाने का सपना देख रही है, ताकि यूपी सीएम पद के रास्ते से मैं हट जाऊं।
अखिलेश ने दिया था जवाब
जब अखिलेश यादव से इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, मैं खुश हूं। मैं भी यही चाहता था। पिछले चुनाव में इसी को लेकर गठबंधन किया गया था। अगर गठबंधन जारी रहता तो बसपा और डॉ भीम राव अंबेडकर के अनुयायी देख सकते थे कि कौन प्रधानमंत्री बनता।