बिजली संकट से जूझ रहे देश के कई राज्य, यूपी में बचा महज 7 दिन का कोयला स्टॉक

नई दिल्ली। गर्मी की मार के साथ ही बिजली संकट भी एक बड़ी समस्या बनकर सामने खड़ा है। दरअसल, इस बार की भीषण गर्मी के कारण बिजली की डिमांड काफी बढ़ गई है। ऐसे में बिजली उत्पादकों के पास पर्याप्त मात्रा में कोयला स्टॉक नहीं है, जिस कारण इसे एक बड़ी समस्या माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, झारखंड समेत देश के कई राज्यों में यही समस्या सामने आ रही है। इस कारण बिजली के संकट को देखते हुए कटौती की जा रहे है और लोग भीषण गर्मी में भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं। वहीं ध्यान देने वाली बात यह है कि सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कोयले का स्टॉक भी जरूरत के अनुपात में महज 26 फीसदी ही बचा है, जो केवल 7 दिनों के लिए ही है। इस कारण बिजली संकट और गहराने का खतरा बढ़ गया है।
खबरों के मुताबिक़ यूपी की बात करें तो बिजली संकट के बीच प्रदेश के थर्मल पावर स्टेशनों के पास जरूरत के अनुपात में एक चौथाई कोयले का ही स्टॉक बचा है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो अप्रैल के पहले पखवाड़े में भीषण गर्मी के कारण बिजली की मांग बढ़ गई है। अप्रैल के महीने में बिजली की मांग 38 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। वहीं, प्रदेश सरकार के स्वामित्व वाले यूपी स्टेट विद्युत उत्पादन निगम के पास मानकों के मुताबिक जितने कोयले का स्टॉक रहना चाहिए, उसका केवल 26 फीसदी ही बचा है।
जानकारी के मुताबिक, यूपी के अनपरा थर्मल पावर प्रोजेक्ट की क्षमता 2630 मेगावॉट बिजली के उत्पादन की है। सामान्य रूप से यहां 17 दिन के कोयले का स्टॉक रहता है। हरदुआगंज में 1265 मेगावॉट, ओबरा में 1094 मेगावॉट और परिछा में 1140 मेगावॉट बिजली के उत्पादन की क्षमता है। मानकों के मुताबिक यहां 26 दिन के कोयले का स्टॉक रहना चाहिए था लेकिन ऐसा है नहीं। अनपरा में 5 लाख 96 हजार 700 टन कोयले का स्टॉक रहना चाहिए लेकिन यहां 3 लाख 28 हजार 100 टन कोयला ही स्टॉक में है।
हरदुआगंज में भी 4 लाख 97 हजार टन की जगह 65 हजार 700 टन, ओबरा में 4 लाख 45 हजार 800 टन की जगह 1 लाख 500 टन कोयला ही स्टॉक में है। परिछा में 4 लाख 30 हजार 800 टन की जगह 12 हजार 900 टन कोयला ही उपलब्ध है। सभी चार थर्मल पावर प्लांट्स में 19 लाख 69 हजार 800 टन कोयले का स्टॉक रहना चाहिए था लेकिन है सिर्फ 5 लाख 11 हजार 700 टन।
इस संबंध में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने एक मशहूर समाचार चैनल से बात करते हुए कहा कि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश के कुल 150 थर्मल पावर प्लांट में से 81 घरेलू कोयले का उपयोग कर रहे हैं। यहां स्थिति खराब है। प्राइवेट सेक्टर के 54 में से 28 पावर प्लांट में भी हालात चिंताजनक हैं।
बताया जाता है कि यूपी के पास बस सात दिन का स्टॉक बचा है। हरियाणा के पास आठ, राजस्थान के पास 17 दिन का कोयला ही स्टॉक में बचा है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी कमोबेश यही हालात हैं। रेलवे के पास रैक की कमी ने भी संकट को और बढ़ा दिया है। रेलवे के पास इस समय केवल 412 रैक ही हैं जिसकी वजह से कोयले की ढुलाई में तेजी नहीं आ पा रही।
यूपी के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने अधिकारियों के साथ बैठक कर बिजली संकट पर मंथन किया है। देश में बिजली की मांग बढ़ने पर कोयले की कमी के कारण संकट न गहराए, इसके लिए ऊर्जा मंत्रालय ने कोयला का आयात बढ़ाने की मांग की है। यूपी थर्मला पावर प्लांट के लिए विदेशों से कोयले की खरीद पर भी सवाल उठ रहे हैं। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने टेंडर की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही विद्युत उत्पादन निगम से जवाब मांगा है। आयोग ने ये जवाब राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की याचिका पर तलब किया है जिसमें विदेशी कोयले के आयात को लेकर सवाल उठाए गए हैं।