डूडा के प्रोजेक्ट घंटावाला ने लौटाई रेहड़ी व्यवसायियों के चेहरे की मुस्कान
लखनऊ 24 के साथ बात-चीत में इन कारोबारियों ने इस प्रोजेक्ट से सम्बंधित अपनी उम्मीदें जताई। टिफिन सर्विस का काम करने वाली सरिता जी और चाय का ठेला लगाने वाले सुशील कुमार जी जब लखनऊ 24 ने बातचीत की । इस दौरान उन्होंने इस प्रोजेक्ट से प्राप्त होने वाले लाभ के बारे में बताया साथ ही अपनी कई बातें लखनऊ 24 से कहीं।

आत्मनिर्भर आजीविका को ध्यान में रखते हुए डूडा ( डिस्ट्रिक्ट अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी ) ने प्रोजेक्ट घंटावाला लॉंच किया। हाल ही में लॉंच हुए प्रोजेक्ट घंटावाला के शुभारंभ में ही कई निजी और रेहड़ी व्यवसायिओं की मुस्कान लौट आई है। प्रोजेक्ट की घोषणा के चलते आम लोगों के विचार और प्रतिपुष्टि को भी सामने रखने का मौका दिया गया। लोगों का प्रतिनिधित्व करते हुए रेहड़ी विक्रेता और टिफ़िन सर्विस विक्रेता ने अपने भावुक विचार व्यक्त किये।
लॉकडाउन के चलते आधुनिकता न होने के कारण पटरी विक्रेताओं के व्यवसाय या तो पूरी तरह से बंद हो गए या कमज़ोर पड़ गए। लागत और पूरी मेहनत लगाने पर भी उनका पेट न पल सका। प्रोजेक्ट के माध्यम से उन्हें पूरी उम्मीद है कि वह पहले से स्थापित स्विगी, जोमैटो जैसी कंपनियों को भी चुनौती दे सकेंगे। इस लॉकडाउन के चलते 12-15 साल से चल रहे टिफ़िन सर्विस पर भी काफी असर पड़ा। कारोबार न चल पाने के कारण टिफ़िन सर्विस कारोबारियों के खुद के खाने के लिए खाना न बचा।
लखनऊ 24 के साथ बात-चीत में इन कारोबारियों ने इस प्रोजेक्ट से सम्बंधित अपनी उम्मीदें जताई। टिफिन सर्विस का काम करने वाली सरिता जी और चाय का ठेला लगाने वाले सुशील कुमार जी जब लखनऊ 24 ने बातचीत की । इस दौरान उन्होंने इस प्रोजेक्ट से प्राप्त होने वाले लाभ के बारे में बताया साथ ही अपनी कई बातें लखनऊ 24 से कहीं।
प्रश्न: सरिता जी – आपको क्या लगता है, क्या इस प्रोजेक्ट से स्थितियों में सुधार होगा ?
उत्तर : जी बिल्कुल सुधर होगा , कोरोना के चलते टिफ़िन सर्विस हमारा टिफ़िन सर्विस का कारोबार एकदम बंद हो गया। ये प्रोजेक्ट घंटावाला सबके लिए बना है, इसमें पटरी दुकानदारों के साथ हमे भी फायदा होगा। अपना घर चलने के लिए हमें किसी से मांगना नहीं पड़ेगा।
प्रश्न: सरिता जी- आपको लगता है ये मिशन आपके लिए लाभकारी होगा ?
उत्तर : हा ये मिशन जरूर हमें लाभ पहुंचाएगा। हमें किसी के लिए काम नहीं करना पड़ेगा ,हम खुद अपना काम करेंगे। अच्छे से अच्छा खाना बनाकर लोगो तक पहुचाएंगे। इसकी मदद से अपने आप को हम और भी ऊंचा उठा सकते हैं।
प्रश्न: सरिता जी – टिफ़िन सर्विस का काम कबसे चल रहा है और कोरोना से इसपर क्या असर पड़ा ?
उत्तर : हमारा टिफ़िन का काम 14-15 साल से चल रहा था। कोरोना के कारण जितने भी लोगो को टिफ़िन देते थे वो सब अपने घर चले गए और हमारा कारोबार ठप हो गया। टिफ़िन सर्विस के नाम पर सिर्फ टिफ़िन बचा और उसमे खाना भी नहीं था।
प्रश्न: सुशील कुमार जी – आप क्या काम करते है और कोरोना के चलते आपको क्या क्या नुक्सान हुए ?
उत्तर : मैं नोवेल्टी के सामने मेरी चाय पकोड़ा की दूकान है। कोरोना के चलते बहुत नुक्सान हुआ। 2 साल से मेरा कारोबार बंद चल रहा है। पहले भी जैसे-तैसे कमाई कर पाते थे। कोरोना के चलते वह भी बंद हो गया।
प्रश्न: सुशील कुमार जी- आपको लगता है ये राष्ट्रिय आजीविका मिशन के अंतर्गत प्रोजेक्ट घंटावाला के ज़रिये आपको कुछ मुनाफा होगा या हालत में सुधर आएगा ?
उत्तर : जी बिल्कुल मुनाफा होगा। कोरोना में हमारा कारोबार तो बंद हो गया लेकिन ये स्विगी, जोमैटो का कारोबार बढ़ गया। हम तो बेरोज़गार हो गए और जब दोबारा हमने अपना धंधा शुरू किया तब हमारा धंधा चला ही नहीं। मेहनत और लागत लगाने पर भी सारा फायदा ऑनलाइन कंपनियों को होता रहा और अब इस प्रोजेक्ट के ज़रिये हम लोगो तक पहुंच सकेंगे और खूब लगन के साथ काम करके बड़ी कंपनियों को हरा कर दिखाएंगे।
प्रश्न: सुशील कुमार जी – आपको लगता है आप स्विगी, जोमैटो को हरा पाएंगे ?
उत्तर : जी हम हरा के दिखाएंगे। जब हम सही दामों में खाना आपके सामने बनाएँगे। साफ़ और स्वच्छ खाना आपको देंगे तो आप क्यों नहीं खरेदेंगे और ऐसे करते करते लोगो के सहयोग के साथ हम स्विगी, जोमैटो को हरा के दिखाएंगे। मैं अपने बाकि भाइयो से भी निवेदन करता हूँ की वो भी इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़े और हम सब साथ मिलकर अपना कारोबार आगे बढ़ाएं।
Writer- Shraddha Tiwari