ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अंकुश लगाने की तैयारी में सरकार, जल्द लांच करेगी ये देसी ‘ऐमजॉन’

नई दिल्ली। डिजिटल इंडिया को अपनी सफलता के आयामों पर आगे बढ़ाने के बाद देश की केंद्र सरकार एक ऐसा कदम बढ़ाने का प्लान बना रही है, जो कि सभी ई-कॉमर्स कंपनियों की छुट्टी कर देगा। दरअसल अब सरकार की मंशा एमेजोन और फ्लिप्कार्ट की तर्ज पर एक सरकारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने की है। ताकि ऑनलाइन शोपिंग के शौकीनों को इन प्राइवेट कंपनियों के साथ ही एक सरकारी विकल्प भी मिल सके। उम्मीद जताई जा रही है कि ये मंच भी यूपीआई जैसी क्रान्ति लाने वाला सरकार का एक बड़ा कदम साबित होगा।
खबरों के मुताबिक़ शुक्रवार को सरकार ने पांच शहरों दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, भोपाल, शिलांग और कोयंबटूर में डिजिटल कॉमर्स के लिए खुले नेटवर्क (ONDC) का पायलट चरण शुरू किया है। वहीं ओएनडीसी को आज चुनिंदा उपभोक्ताओं, विक्रेताओं और लॉजिस्टिक प्रदाताओं के लिए शुरू किया गया।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अतिरिक्त सचिव अनिल अग्रवाल ने इस बारे में ब्योरा देते हुए कहा कि ओएनडीसी मानकों का एक समूह है, जिसे विक्रेता या लॉजिस्टिक प्रदाता या भुगतान गेटवे स्वैच्छिक रूप से अपना सकते हैं। इस समय 80 फर्में ओएनडीसी के साथ काम कर रही हैं और वे एकीकरण के विभिन्न चरणों में हैं। ये कंपनियां विक्रेता, खरीदार, लॉजिस्टिक या पेमेंट गेटवे के लिए अपने ऐप बना रही हैं।
ओएनडीसी के तहत खरीदार और विक्रेता को एक ही प्लेटफॉर्म पर होने की जरूरत नहीं है। वहीं दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर कोई भी बिजनस ट्रांजेक्शन करने के लिए खरीदार और विक्रेता को एक ही प्लेटफॉर्म पर होना जरूरी होता है। इसके तहत बिजनस और ग्राहक अपने मर्जी के कोई भी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर के ट्रांजेक्शन कर सकेंगे। ऐमजॉन, फ्लिपकार्ट, बिगबास्केट, ग्रोफर्स और जोमैटो जैसे तमाम प्लेटफॉर्म्स को DPIIT और QCI की तरफ से बनाए गए प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर करना होगा।
बता दें, इस योजना के तहत अभी दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, भोपाल, शिलांग और कोयंबटूर में 150 खुदरा विक्रेताओं को जोड़ने का लक्ष्य है। इस पहल का उद्देश्य दो बड़ी बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रभुत्व पर अंकुश लगाना है। ये कंपनियां देश के आधे से अधिक ई-कॉमर्स व्यापार को नियंत्रित करती हैं, बाजार तक पहुंच को सीमित करती हैं, कुछ विक्रेताओं को तरजीह देती हैं और आपूर्तिकर्ताओं के मार्जिन को कम करती हैं।