टूटा पिछला रिकार्ड… धड़ल्ले से कैश इस्तेमाल, चुनावी राज्यों से 1000 करोड़ से अधिक बरामद

नई दिल्ली। जहां एक ओर देश में विधानसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है। इसी बीच चुनाव आयोग द्वारा एक हैरान करने वाला खुलासा हुआ। चुनाव आयोग का कहना है कि साल 2016 में केंद्र शासित भाजपा सरकार द्वारा उठाया गया नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला, जिस उद्देश्य के साथ लिया गया था, उस उद्देश्य पर वह पूरी तरह से नाकाम दिखा।
दरअसल, हाल ही में किए गए आंकलन में चुनाव आयोग ने पाया कि साल 2017 के मुकाबले साल 2022 में अधिक नकदी का इस्तेमाल किया गया, जिसकी जमाखोरी की गई थी।
खबरों के मुताबिक़ चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा के विधानसभा चुनाव में अब तक 1000 करोड़ से अधिक की नकदी, ड्रग्स, शराब और अन्य सामान जब्त किया गया है। इससे साफ पता चलता है कि नोटबंदी का कोई असर चुनाव पर नहीं हुआ है।
चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा कि 109 करोड़ की ड्रग्स प्रवर्तन निदेशालय ने पंजाब से जब्त किया है, जबकि 8 लाख लीटर शराब उत्तर प्रदेश से जब्त किया गया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने 299 करोड़ 84 लाख रुपए के अवैध सामान जब्त किए थे। जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में 2017 से 4 गुना अधिक रुपए की नकदी, ड्रग्स और अन्य अवैध सामान चुनाव आयोग द्वारा जब्त किया गया है।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में पंजाब में सबसे अधिक रुपए के सामान जब्त किए गए हैं। पंजाब में चुनाव आयोग द्वारा 510 करोड़ रुपए की नकदी, ड्रग्स, शराब और अन्य अवैध सामान जब्त किया गया है। जबकि उत्तर प्रदेश में 307 करोड़ 92 लाख, मणिपुर में 167 करोड़ 83 लाख, गोवा में 18 करोड़ 73 लाख और उत्तराखंड में 12 करोड़ 73 लाख की नकदी और अन्य अवैध सामान जब्त किया गया है।
बता दें कि पंजाब के विधानसभा चुनाव में ड्रग्स एक बड़ा मुद्दा बना रहा। आम आदमी पार्टी ने ड्रग्स के खिलाफ जोर-शोर से अभियान चलाया और ‘आप’ संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि सरकार बनते ही ड्रग्स की चेन पर प्रहार किया जाएगा और 6 महीनों में इसके परिणाम दिखाई देने लगेंगे।
वहीं 2022 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में 140 करोड़ 29 लाख रुपए नकद चुनाव आयोग द्वारा जब्त किए गए हैं। जबकि 82 लाख लीटर शराब चुनाव आयोग द्वारा जप्त किया गया है जिसकी कीमत 99 करोड़ बताई गई है। बता दें कि यह सारा सामान चुनाव में वोटरों के बीच बांटने के लिए लाया गया था ताकि मतदाताओं को लुभाया जा सके।