बिहार भाजपा चीफ की जदयू को चेतावनी, कहा- पीएम भाजपा के गौरव, बंद करें ‘ट्विटर गेम’

नई दिल्ली। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पूर्व बिहार में भी एनडीए सरकार में कुछ अनबन सी दिखाई दे रही है। ऐसा लग रहा है कि बिहार में भाजपा और जदयू के बीच कुछ ठीक नहीं है। इस बात का इशारा हाल ही में उठे शराबबंदी वाले मामले से मिलता है।
बता दें कि भाजपा इधर काफी समय से शराबबंदी के मामले में नीतीश कुमार पर निशाना साध रही है। वहीं नीतीश भाजपा से अलग जाति जनगणना के समर्थन में मोर्चा संभाले हुए हैं। हालांकि, अब यह मामला बयानबाजी से कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है।
खबरों के मुताबिक़ बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने जदयू को धमकी देते हुए एक फेसबुक पोस्ट लिखा है। जिसमें जदयू के नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ‘ट्विटर गेम’ खेलने के खिलाफ चेतावनी दी है।
बताया जा रहा है कि जायसवाल ने ये चेतावनी जदयू के दो बड़े नेताओं ललन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा को लेकर दी है।
जायसवाल ने लिखा है कि इस मर्यादा की पहली शर्त है कि देश के प्रधानमंत्री से ट्विटर ट्विटर ना खेलें। प्रधानमंत्री जी प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के गौरव भी हैं और अभिमान भी। उनसे अगर कोई बात कहनी हो तो जैसा माननीय ने लिखा है कि बिल्कुल सीधी बातचीत होनी चाहिए।
टि्वटर टि्वटर खेलकर अगर उनपर सवाल करेंगे तो बिहार के 76 लाख भाजपा कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में हम सब इसका ध्यान रखेंगे।
उन्होंने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाह का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारा उन्हीं को ओर है।
बता दें, इन दोनों नेताओं ने हाल ही में पीएम मोदी को ट्वीटर पर टैग करके आग्रह किया था कि सम्राट अशोक पर विवादित टिप्पणियों के लिए प्रसिद्ध नाटककार दया प्रकाश सिन्हा से पद्म श्री वापस ले लिया जाए।
इसे लेकर बिहार बीजेपी चीफ ने जवाब भी दिया है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा है कि 74 वर्ष में एक घटना नहीं हुई, जब किसी पद्मश्री पुरस्कार की वापसी हुई हो।
पहलवान सुशील कुमार पर हत्या के आरोप सिद्ध हो चुके हैं उसके बावजूद भी राष्ट्रपति ने उनका पदक वापस नहीं लिया क्योंकि पुरस्कार वापसी मसले पर कोई निश्चित मापदंड नहीं है। वहीं जायसवाल ने अपनी बातों में हरिद्वार में आयोजित हुई विवादित धर्म संसद का मामला उठाते हुए कहा कि चाहे धर्म संसद हो या फिर किसी भी दिग्गज नेता द्वारा दी गई हेट स्पीच। सरकार उनके मामले में संज्ञान भी लेना जानती है और जरूरत पड़ी तो ऐसे लोगों को जेल भेजने में भी नहीं हिचकती है।